1 मत्ती 1:1 में हम पाते है “यीशु मसीह की पीढ़ी की पुस्तक, दाऊद का पुत्र, अब्राहम का पुत्र”
नए नियम से हमे ये संकेत मिलने लगते है, नया नियम कुछ और बिंदु पर केंद्रित नहीं, पर सिर्फ यीशु मसीह है जिसकी चर्चा हज़ारों साल पहले बड़े भविष्यवक्ताओ के द्वारा हो चुकी, और जिसे संभव होना ही था!
जिस प्रकार से यशायाह की किताब में लिखा है
“ क्योंकि हमारे लिये एक बालक उत्पन्न हुआ, हमें एक पुत्र दिया गया है; और प्रभुता उसके कांधे पर होगी, और उसका नाम अद्भुत, युक्ति करने वाला, पराक्रमी परमेश्वर, अनन्तकाल का पिता, और शान्ति का राजकुमार रखा जाएगा। ”
उसका आना तय था, क्युकी संसार पाप से बिलकुल भर चुकी थी, और उसे अपना प्राण देना था, पुराने नियम में ऐसा था की जब लोग पाप करते थे तोह वोह परमेश्वर के मंदिर में याजक को पवित्र जानवर का बलिदान देकर अपने पापो की क्षमा प्राप्त करते थे.
पर इनसे उनके अंदर कोई बदलाव नहीं आता था, वो फिर पाप करते और फिर बलिदान करते, जिससे की इस फिर पृथ्वी में पाप बड़ गया, चूकी हमारे परमेश्वर ने वादा किया था की नूह के बाद इस पृथ्वी को फिर कभी नाश नहीं करुँगा, इसलिए अपने वायदे के मुताबिक परमेश्वर ने हमे ना नाश करके अपने आप को हमारे लिए न्योछावर कर दिया.
जिससे की कोई बलिदान बाकी न रहे, और हम सिर्फ बस इतना करे अपने पापों से फिरकर अपने गुनाहों से तौबा करे, एक अच्छा जीवन जिए और आने वाले अनंत जीवन की तैयारी करे.
क्योकि सिर्फ एक ही मार्ग है, जिससे हम अपने जीवन में पाप भरी जिंदगी से छुटकारा पा सकते है,
और वो मार्ग येशु मसीह है सिर्फ|
बताना मांगता हु खुदा के लोगो, इस पाप भरे संसार में हमारे पास एक ऐसा परमेश्वर है, जो हमारी ज़िन्दगी को बहाल कर सकता है|
केवल सिर्फ येशु मसीह ही सच्चा और जीवित परमेश्वर है, जो की वास्तविक रूप में मनुष्य बन गया, यहाँ तक उसने हमारे पापो के लिए अपने आप को शुन्य तक कर दिया, और पिता से अलगाव सह लिया, उसने क्रूस पे हमारे लिए जान दी ताकि हम पाप रहित जीवन बिता सके, और पिता को खुश कर सके अपने जीवन से, क्युकी वो नहीं चाहता की हम पाप में पड़े पड़े अपने जीवन को नाश कर दे |
याद रखे जब परमेश्वर पृथ्वी की रचना कर रहा था, सब को उसने बहुत से अकार दिए, पर मनुष्यो को बनाने का समय आया तोह उसने हमे अपने रूप में रचा, इसीलिए परमेश्वर पवित्र है, और वो नहीं चाहता की हम अपवित्रता का जीवन व्यतीत करे, जब हम जान रहे है की बाइबिल क्या है और उसका उद्देश्य क्या है, तोह आइये इन रास्तो पे चलने की कोशिश करे
जैसे की हमने ऊपर जाना की नए नियम के केंद्र बिंदु येशु मसीह है, तो फिर पुराने नियम के बारे में क्या?
यदि हम पुराने नियम के बारे में जानेंगे, तोह हम पड़ेंगे की आने वाले मसीह की कई कहानियाँ, भविष्यवाणिया, आंकड़ों और भी उदाहरण के माध्यम से उल्लेख किया गया है.
जैसा की हम पुराने नियम में कही भी हम येशु मसीह नहीं पाते है, पर जो कुछ भी घटित हुआ वो सब आने कल मसीह के लिए था.
इसीलिए इस भ्रम में न रहे की येशु मसीह सिर्फ नए नियम में ही है, पर वो पूरी बाइबिल में पाया जाता है
प्रकाशितवाक्य 22:21
प्रभु यीशु का अनुग्रह पवित्र लोगों के साथ रहे। आमीन॥
यह नए नियम का आखिरी वचन है। यहाँ फिर से हम यीशु का नाम देखते हैं। यीशु नाम नए नियम में बोला गया पहला नाम है, और यह अंतिम भी है। नए नियम में पहला और आखिरी वचन – मत्ती 1: 1 और प्रकाशितवाक्य 22: 21- जैसा की हम देख सकते हैं कि इसका ध्यान और मुख्य विषय अद्भुत व्यक्ति,सिर्फ यीशु मसीह ही है।
प्रकाशितवाक्य 22:21 नए नियम के आखिरी पद के लिए नहीं है। पर यह पूरी बाइबिल का आखिरी शब्द भी है। बाइबल का आखिरी शब्द प्रभु यीशु के विषय में है, न कि कई अन्य चीजों में। इसलिए नए नियम के पूरे छब्बीस पुस्तकों में, शुरू से अंत तक, यीशु मसीह ही बाइबल का विषय है। और यीशु मसीह ही इस सवाल का जवाब है कि बाइबल किस बारे में है?
मुख्य बात पर ध्यान केंद्रित करना
विश्वासियों के रूप में हमे और लोगो से और ज्यादा स्पष्ट और सामान्य विचार में अधिक होना चाहिए, की बाइबिल जो भी कहती हमारा उस पर विश्वास होना चाहिए, और उसे करने के लिए पूरी रीति से तत्पर होना चाहिए, और हमारा इस बात पर पूरा विश्वास होना चाहिए की वो इस पृथ्वी हमारे लिए मनुष्य बन गया, और हमारे पापो को अपने ऊपर लेकर हमे आज़ाद कर दिया, यहाँ तक की उसने पिता से अलगाव तक सह लिया, जो उसके लिए सबसे असहनीय था, पर येशु मसीह ने ये भी होने दिया सिर्फ इसलिए की हम अपने पापो से उद्धार पा सके!