यीशु मसीह कौन है - Yeshu Masih kon hai?

यीशु मसीह कौन है

जय मसीह की दोस्तों, भाइयों और बहनो आप सबका masihizindagi परिवार में यीशु मसीह कौन है (Yeshu masih kaun hai) जानने और पूरी यीशु मसीह की कहानी(Yeshu Masih ki kahani) पढ़ने के लिए स्वागत है, आज हम बात करेंगे की कैसे येशु मसीह का यहाँ आना हुआ, और उनका मकसद क्या था इस पृथ्वी पे आने के लिए, तोह आइये जानते है देर किस बात.

बाइबिल के दो भाग है, पुराना नियम और नया नियम

पुराने नियम में बहुत से ऐसे भविष्यवक्ता हुए जिन्होंने परमेश्वर की सेवा भरपूर और ईमानदारी से की, उनमें से एक है यशायाह, जिनकी किताब आप पुराने नियम में पाएंगे, इन्होने येशु मसीह के जन्म से 700 साल पहले ही यह भविष्यवाणी कर दी, हमारे लिए लिए एक उद्धारकर्ता जन्म लेगा, उसका नाम इम्मानुएल होगा जिसका अर्थ है परमेश्वर हमारे साथ है, और उसके काँधे पर प्रभुता होंगी!

येशु मसीह क्यों आये - उनका मकसद क्या था?

जैसे की बताया उनकी कई साल पहले ही आने की घोषणा हो गयी थी, पर क्यों आये वो? क्या जरुरत आ पड़ी की परमेश्वर को अपने एकलौते पुत्र को बलिदान होने की लिए भेजना पड़ा

जैसा की आपको पता होगा, की पृथ्वी एक बार नाश हो चुकी है, उस समय पृथ्वी पर पाप बहुत ही बढ़ गया था, और कोई भी अपने पापो से तौबा करके नहीं मुड़ रहा था!

तब परमेश्वर ने क्रोध में आकर सारी पृथ्वी को नाश कर दिया, और सारी पृथ्वी में जल प्रलय ले आये, पर इन सबमे में एक व्यक्ति था, जो परमेश्वर की नज़र में धर्मी व्यक्ति था, और उसका नाम था नूह,  उसने परमेश्वर की बात पर भरोसा किया, और जैसा परमेश्वर ने कहा वैसा ही उसने!

नूह ने परमेश्वर के कहे अनुसार एक विशाल जहाज़ को तैयार किया, और उसमे सारे जिव जंतु के एक नर और मादा को रख लिया, उस समय कोई भी नूह की जलप्रलय की बातो को नहीं मान रहा था, सबने उसकी बातो को मज़ाक में लिया, और  एक समय ऐसा आया, पूरी पृथ्वी जल प्रलय से भर गया, सारे ऊँचे पेड़ डूब चुके थे यहाँ तक की कोई भी नहीं बचा सिवाय उस जहाज़ में जितने थे!

पानी करीब 150 दिनों तक बना रहा है, और फिर उसके बाद घटने लगा, और धीमे-धीमे पानी सूख गया!

सूखने के बाद परमेश्वर ने नूह से बाते की, और एक वाचा बाँधी की मै फिर कभी भी ऐसा प्रलय या फिर कभी भी अपने लोगो को ऐसे नाश करूँगा, हमारा परमेश्वर दयावन्त है, पर उसे पाप से सख्त  नफरत है, और फिर उसने rainbow के रूप में वाचा बाँधी, और कहा की ये रेनबो मेरी वाचा होंगी की मै फिर कभी इस पृथ्वी को नाश नहीं करूँगा!

फिर एक नयी generation की शुरुवात होती है, और फिर पूरी पृथ्वी में भर जाते है!

पर रुकिए! क्या

पाप ख़त्म हो गया?

क्या आप सिर्फ यीशु  मसीह की कहानी ही जानने आये है , या फिर उसके कामो के द्वारा अपने जीवन को बदलना चाहते है, कई बार हम अपनी गलतियों को मानते है, पर फिर भी हम गलती पर गलतिया करते रहते है!

आज भी लोग, कई प्रकार के पाप में फसे हुए, जिसे उन्होंने खुद अपनी ज़िन्दगी मान ली है, आज के समय के लिए हमे खुदा का धन्यवाद् करते है, उसने हमे छोड़ नहीं दिया, और न ही हम पर अपना फैसला सुना दिया, नहीं तोह शायद ही कोई आज जीवित होता!

पर बाइबिल कहती है क्या अनुग्रह पर अनुग्रह होता रहे, और हम पाप करते रहे, बिलकुल नहीं, हमे अपने पापो से तौबा करके उससे फिरना है, और हमे अपना जीवन पवित्रता के साथ जीना पड़ेगा, जिससे की उसने जो बलिदान हमारे लिया किया है, वो व्यर्थ न जाए, आइये उसको वो महिमा दे, जिसके वो योग्य है.

यीशु मसीह का जन्म कब हुआ? - Yeshu Masih ka Janm kab hua

बाइबिल के अनुसार, यीशु मसीह के जन्म का कोई दिन निर्धारण नहीं है, लुका 2:8-9 में हम पाते है की, कुछ चरवाहे रात में अपने भेड़ो को चरा रहे थे, तभी एक स्वर्गदूत आता है, और चरवाहों से रूब आ रु होता है, पर चरवाहे बहुत ही घबरा गए थे.

पर यहूदियों के अनुसार ये समय 10 से 11 महीने के लगभग था जोकि बहुत ही ठण्ड का समय होता है, तोह बस सही तारीख पता न होने के के कारण 25 का दिन ही यीशु मसीह के जन्मदिन के रूप में मनाया जाने लगा!

यीशु मसीह के जन्म का स्थान? - Yeshu Masih je Janm ka Sthan

यीशु मसीह का जन्म, येरूशलेम से 10 km दूर पूरब की ओर बेथलेहम शहर में हुआ था, मसीह येशु का जन्म एक चरनी में हुआ था, बजाये इसके वो महलो में हो, माता मरियम और युसूफ के मिलने से पहले हे, मरियम पवित्र आत्मा के द्वारा गर्भवती पायी गयी, और परमेश्वर की योजना को उन्होंने अपने जीवन में होने दिया.

यीशु मसीह को सूली पर कब चढ़ाया गया है? - Yeshu Masih ko Suli Par kab Chadaya Gya

नए नियम के अनुसार यीशु मसीह को 33 ईस्वी, अप्रैल, शुक्रवार तारीख 3 को चढ़ाया गया, उस जगह का नाम बाइबिल के अनुसार गोलगोथा (Golgotha) कहा जाता है

यीशु मसीह की मृत्यु कब हुई? - Yeshu Masih Ki Mrityu kab Hui?

बाइबिल के अनुसार ये माना जाता रहा है की वो दिन शुक्रवार का था, मत्ती 27-32:56 के अनुसार वो समय दोपहर का था, क्रूस पे लटके हुए प्रभु यीशु ने हर एक उन वचनो को बड़े ही कष्ट के साथ आहे भर भर कर बोला, और होने अपने पिता की हर बात को पूरा किआ, उन सातो वचनो को पूरा करने के बाद, एक समय ऐसा आया जब प्रभु ने कहा एली-एली लमा सबक्तनि, अर्थार्त हे मेरे परमेश्वर, हे मेरे परमेश्वर तूने मुझे को छोड़ दिया.

सोच कर देखिये वो खुदा हमारे लिए मनुष्य रूप में बनके आ गया, और हमारे सारे पापो को ले लिया, और यहाँ तक की उसने पिता से दूरी भी सेह ली, जो की सबसे दुखदायी था प्रभु येशु मसीह के लिए, क्युकी पवित्रता का अपवित्रता से कोई मेल नहीं

यीशु मसीह को क्यों मारा गया - Yeshu Masih ko Kyon Maara Gya

जैसा की मैंने बहुत से बातो का जिक्र ऊपर किया, जिससे की आपको पता चल जायेगा, यीशु मसीह का मकसद क्या था, आने के लिए! जैसे की बताया मेने ऊपर की परमेश्वर ने इस पृथ्वी को नाश कर दिया था, और फिर ऐसा करने के बाद पछताया और फिर तभी से परमेश्वर ने वाचा बाँधी और कहा की फिर अब कभी पृथ्वी को नाश नहीं करूँगा और आज भी हम उसे Rainbow के रूप में देख सकते है!

तोह क्या फिर परमेश्वर हमारे पाप को यही देखता रहे और वो कुछ न करे?

 पुराने नियम के अनुसार परमेश्वर ने कुछ रीतिया बताई थी, अगर कोई गलती या पाप करे, तोह परमेश्वर के समीप यानि की उसके मंदिर में याजक के द्वारा शुद्ध मेमना बलिदान करे, और जब वो वेदी पे रखकर जलाया जायेगा, तब उसकी सुगंध जो ऊपर जाएगी, उसको सूंघते हुए परमेश्वर उनको माफ़ करेगा

पर लोगो ने बिलकुल आदत ही बना ली थी, बस वो पाप करते और बलिदान करके फिर माफ़ि मांग लेते, पर इससे उनमे कोई सुधार नहीं आया, फिर परमेश्वर ने ठाना की अब आगे से कोई बलिदान नहीं होगा यीशु मसीह के बाद!

फिर ऐसा हुआ, यीशु मसीह के जन्म के 700 साल पहले ही यशायाह भविष्यवक्ता के द्वारा घोसणा कर दी गयी, की लगभग 700 साल बाद हमारा लिए एक उधारकर्ता जन्म लेगा, जिसके काँधे के ऊपर प्रभुता होगी, और उसका नाम एम्मानुएल रखा जाएगा अथार्त परमेश्वर हमारे साथ है.

और यूहन्ना 3:16 इस प्रकार कहता है, की परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम किआ की उसने अपना एक-लौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उसपर विश्वास करे वो नाश न हो परन्तु अनंत जीवन पाए!

तोह अबसे कोई और बलिदान बाकी न रहा, सिर्फ और सिर्फ केवल विश्वास करने की जरुरत है, बस हम अपने पापो से तौबा करे, उससे फिरे और उसपे विश्वास करके अपने जीवन जिए और उसकी महिमा करे!

तोह आशा करता हु की आप समझ गए होंगे की यीशु  मसीह को क्यों मारा गया, येशु मसीह का यहाँ आना और ढेरो यातनाये सहने का सिर्फ मकसद एक था, की हमे हमारे पापो से छुटकारा दिला सके!

उम्मीद है की आपको, आपको यह जानकार की यीशु मसीह कौन है, उनका जन्म कहा हुआ, मृत्य उनकी कहा हुई, या फिर येशु मसीह की पूरी कहानी को पढ़कर अच्छा लगा होगा!

इसको share करे अपने परिवार और दोस्तो में ताकि वो भी जान सके, येशु मसीह कितना हमसे प्रेम करता है, किसी भी सवाल के लिए निचे दिए कमेंट बॉक्स में लिखकर हमसे पूछ सकते है! 

FAQ

(Q)  येशु मसीह कौन है?

(A)  येशु मसीह कोई और नहीं पर हमारा सच्चा परमेश्वर प्रभु येशु मसीह है, जिसने अपने आप की चिंता न करके हमारे लिए दे दिया

(Q) यीशु मसीह के पिता का क्या नाम था?

(A) वैसे तोह खुद में प्रभु येशु मसीह त्रिएक परमेश्वर है, उनका पिता कौन हो सकता है, अगर संसारिक रूप से बात करे तोह येशु मसीह के माता पिता युसूफ और मरियम थे

(Q) यीशु को क्रूस पर क्यों चढ़ाया गया?

(A) येशु मसीह तोह निर्दोष थे, उनको हमारे और आपके पापो के लिए चढ़ाया गया, बल्कि यह योजना भी परमेश्वर की ओर से थी.

(Q) यीशु मसीह का जन्म कैसे हुआ था?

(A) येशु मसीह का जन्म बेतेहेलेम के एक छोटे से गाँव के एक चरनी में हुआ था

(Q) यीशु मसीह को कितने कोड़े मारे गए?

(A) येशु मसीह को 39 कोड़े मारे गए

(Q) येशु मसीह को सूली पर कब चढ़ाया गया?

(A) येशु मसीह को अप्रैल के महीने शुक्रवार के दिन सूली पर चढ़ाया गया, उसी के दिन मसीह लोग, गुड फ्राइडे के रूप में हर साल मनाते है

(Q) येशु मसीह का पुनरुत्थान कब हुआ

(A) येशु मसीह का पुनरुत्थान, ठीक येशु मसीह के कब्र के 3 दिन जाने के बाद हुआ

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